October 6, 2024

पानी की तलाश में रिहायशी क्षेत्र पहुंच रहे वन्य प्राणी, हमले का हो रहे शिकार

0 जंगल में नहीं है सासरपीट
कोरबा।
गर्मी बढ़ने के साथ ही गला सूखने लगा है। धूप में निकलना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में वन्य प्राणियों की भी मुश्किलें बढ़ने लगी है। जंगल में जल स्रोतों के अभाव के कारण पानी की तलाश में रिहायशी इलाके पहुंच रहे हैं, जहां कुत्तों का झुंड उन पर हमला कर रहा है। इस तरह के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। वन्य प्राणियों के बचाव और उनके लिए पानी के इंतजाम करने में वन विभाग के इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं।
धूप का असर तेज होने के साथ वन क्षेत्रों में जल संकट बढ़ने लगा है। पानी की तलाश में भटककर गांव की ओर आने वाले आधा दर्जन से अधिक हिरण हर साल कुत्तों का शिकार हो जाते हैं। इसके बाद भी वन विभाग में वन्य जीवों के पेयजल सुनिश्चत करने के लिए सासरपीट यानि पानी पीने का कुंड नहीं बनाया गया है। कोरबा व कटघोरा वनमंडलों में पाली, चैतमा करतला ऐसे वन परिक्षेत्र हैं जहां हिरण बहुतायत संख्या में पाए जाते हैं। क्षेत्रों में पेड़ों की लगातार कटाई के कारण अनुकूल वातावरण वन्य जीवों के लिए प्रतिकूल होने लगे हैं। पानी की तलाश में हिरण झुंड के झुंड गांव के तालाब में प्यास बुझाने आते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में कुत्तों की संख्या बढ़ने से हिरणों का अस्तित्व खतरे में आ गया है। सघन जंगल होने से हिरण सहित अन्य वन्य जीव सुरक्षित थे। बसाहट बढ़ने से वन भूमि भी सिमटने लगी है। लोगों की बसाहट के साथ कुत्तों का दखल वन क्षेत्रों में बढ़ गया है। जंगल से लगे राहा, सपलवा, मदनपुर, मड़वारानी पहाड़ के आसपास गांवों के तालाबों में आए दिन हिरणों को पानी पीने के लिए आते देखा जा सकता है। कुत्तों की बढ़ती संख्या समस्या बनी हुई है।

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