बंद रेत घाटों को नहीं कराया जा सका शुरू
0 आगामी दिनों में वर्षा ऋतु के आते ही बंद हो जाएंगे घाट
कोरबा। रेत घाटों को नगर निगम , पंचायतों की निगरानी में संचालित किए जाने का प्रस्ताव लंबित है। घाट प्रारम्भ कराने ट्रेक्टर मालिक एसोसिएशन की चेतावनी बंदर घुडक़ी साबित हुई और फिर खामोश बैठ गए।12 खदानों को स्वीकृति का इंतजार है। इधर अब तक अनुमति मिल नहीं सकी है और बरसात नजदीक है। मानसून शुरू होते ही नदियों से रेत निकालना प्रतिबंधित कर दिया जाएगा। इसके बाद सारे काम ठप हो जाएंगे।
कार्य का होना जरूरी है और इस जरूरत को समझना प्रशासन तंत्र के लिए और भी आवश्यक है। इससे भी ज्यादा आवश्यक है कि जिस चीज की कमी बनी हुई है उसकी पूर्ति के लिए मार्ग प्रशस्त किया जाए, लेकिन इसके लिए पक्ष, विपक्ष, तीसरे सशक्त दल का दंभ भरने वाले अन्य राजनीतिक दलों के स्थानीय पदाधिकारियों, दिग्गज जनप्रतिनिधि होने का दम भरने वाले माननीयों के प्रतिनिधियों, बड़े-बड़े ठेकेदारों ने भी इस ओर से आंखें अब तक फेरी हुई है। यदि ये चाहते तो रेत घाटों को संचालित करने में आ रही दिक्कतों को दूर कराने के साथ-साथ घाटों को प्रारंभ कराने में भूमिका निभाई जा सकती है लेकिन ऐसा होता दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहा। इसके कारण कई बड़े निर्माण सुस्त चाल हैं। शहर और आसपास के क्षेत्रों में सरकारी विकास कार्यों से लेकर निजी निर्माण कार्यों की भरमार है। इन कार्यों को अंजाम देने में रेत की कमी सबसे बड़ी बाधा बन रही है। ऐसे में पड़ोसी जिलों से रेत मंगाने की नौबत आ गई है। विभागीय अधिकारियों की अदूरदर्शिता के कारणों से जिले के रेत घाटों में सन्नाटा पसरा हुआ है। कहने को तो दो से तीन घाटों को संचालित करने की स्वीकृति मिली हुई है, लेकिन यह काफी नहीं है। पिछले 1 साल से सरकारी दर पर रेत को लेकर हाय-तौबा मची हुई है। रेत के अभाव में महीनों से निर्माण कार्य भी अटके रहे। रेत के मसले पर जहां कोई भी बात पुरजोर तरीके से रखी नहीं जा सकी है। वहीं वैध खनन और भंडारण की अनुमति किन कारणों से अटकी हुई है, इसे भी स्पष्ट नहीं किया जा सका है।दूसरी तरफ भाजपा विपक्ष की भूमिका में है लेकिन वह रेत जैसे जरूरी मसले पर भी सशक्त और मुखर नहीं है। कोरबा में भाजपा के प्रदेश स्तरीय नेतागण भी हैं। रेत न तो पक्ष देखती है ना विपक्ष, उसके लिए तो सब एक बराबर हैं लेकिन उसकी उपलब्धता आसान तरीके से हर वर्ग के लिए होनी चाहिए, यह सुनिश्चित करने का जिम्मा खनिज महकमे का है। उस पर निगरानी प्रशासनिक तंत्र करता है और राजस्व के नुकसान को रोकने का जिम्मा राजस्व विभाग का है। ऐसे में तीनों विभाग अपने दायित्व से जहां फिलहाल कटे-कटे से हैं।