November 7, 2024

पावर प्लांट में बारिश के दौरान नहीं होगी कोयले की कमी

0 बिजली संयंत्रों के पास 15 से 24 दिन का स्टाक, खदानों में भरपूर कोयला
कोरबा। छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी के संयंत्रों में इतना स्टाक पहले ही कर लिया गया है कि 24 दिन तक कोयले की आपूर्ति नहीं की जाएगी तो भी उत्पादन प्रभावित नहीं होगा। हसदेव ताप विद्युत संयंत्र कोरबा पश्चिम 1340 मेगावाट के पास 15 दिन के कोयले का स्टाक है। डा श्यामा प्रसाद मुखर्जी ताप विद्युत संयंत्र 500 मेगावाट व मड़वा ताप विद्युत संयंत्र एक हजार मेगावाट के पास 24-24 दिन का कोयले का स्टाक है। उधर एनटीपीसी कोरबा, बाल्को व लैंको संयंत्र में भी 15-15 दिन का स्टाक है और नियमित खपत के अनुरूप कोयले की भी आपूर्ति हो रही है।
आमतौर पर वर्षाकाल में खदानों में कोयले का उत्पादन कम हो जाता है और डिस्पैच (प्रेषण) भी प्रभावित होता है। इसका सीधा असर बिजली संयंत्रों के कोयला आपूर्ति पर पड़ता है, लेकिन इस बार बिजली कंपनियों को कोयले की कमी नहीं होगी और निर्वाध गति से बिजली उत्पादन होते रहेगा। कोल इंडिया के खदानों के यार्ड में पर्याप्त कोयले का स्टाक है।वर्ष 2019-20 से 2022-23 तक बिजली संयंत्रों को कोयला संकट का सामना करना पड़ा। चार साल बाद वर्ष 2023-24 में पहली तिमाही में ही कोल इंडिया ने उत्पादन लक्ष्य के करीब पहुंच गया है। इसकी सुखद परिणाम यह रहा कि कंपनियों की खदानों में वर्तमान में 590 लाख टन कोयले का स्टाक है, जबकि बीते वर्ष इस अवधि में 431 लाख टन था। बीते वर्ष के मुकाबले 37 प्रतिशत अधिक 159 लाख टन कोयले का स्टाक है। सर्वाधिक 213.9 लाख टन स्टाक कोयला साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) की खदानों में है।दूसरे क्रम में महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड (एमसीएल) में है। वहां 141.1 लाख टन कोयले का स्टाक है। वर्षाकाल में कोयले की आपूर्ति बाधित होने से विद्युत कंपनियों को उत्पादन क्षमता घटाना पड़ता है। इस तरह की परेशानियों से इस बार विद्युत संयंत्र के प्रबंधनों को सामना नहीं करना पड़ेगा। कोयला मंत्रालय का पिछले दो साल से कोल इंडिया की खदानों में कोयला उत्पादन में वृद्धि करने पर ध्यान केंद्रीत रहा है। लगातार मंत्रालय के सचिव स्तर के अधिकारी मैदानी स्तर पर निगरानी कर रहे। इससे उत्पादन तो बढ़ा, साथ ही फर्स्ट माइलस्टोन कनेक्टिविटी से परिवहन कार्य में गति पकड़ी।

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