November 8, 2024

जनपद में कार्यरत् पंचायत डाटा एंट्री ऑपरेटरों का मानदेय भुगतान नियम विपरीत

0 ग्राम पंचायतों के 15वें वित्त से किया जा रहा भुगतान 0 मनरेगा शाखा में भी पक्के निर्माण कार्यों की आड़ में घपला
कोरबा (पाली)।
डिजिटल इंडिया के तहत पूरे प्रदेश में ग्राम पंचायतों को ई- पंचायत किये जाने की योजना के तहत विभिन्ना काम करने हेतु कम्प्यूटर आपरेटरों को मानदेय पर रखा गया था। ग्राम पंचायतों में नियुक्त कम्प्यूटर ऑपरेटर को दर्जनभर से अधिक कार्यों के लिये जिसमें राशनकार्ड नवीनीकरण, प्रधानमंत्री आवास, स्वच्छ भारत मिशन, बेसलाइन सर्वे, जियो टैगिंग कार्य, गोधन न्याय योजना से संबंधित साप्ताहिक जानकारी का प्रतिवेदन तैयार करने सहित 12 प्रकार के सॉफ्टवेयर जिसमे प्रिया साफ्ट ऑनलाइन, प्लान प्लस, एरिया प्रोफाइल, सर्विस प्लान, सामाजिक अंकेक्षण, मीटिंग प्रबंधन, नेशनल पंचायत पोर्टल एवं ग्राम स्वराज पोर्टल अंतर्गत 14वें वित्त मद से भुगतान की भी एंट्री की जिम्मेदारी दी गई थी।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग रायपुर से 13 सितंबर 2017 को जारी आदेश के अनुसार 14वें वित्त आयोग मद की राशि से न्यूनतम 4000 रुपये प्रतिमाह की दर से ग्राम पंचायत में नियुक्त कम्प्यूटर ऑपरेटर को मानदेय दिये जाने व वर्तमान में 15वें वित्त मद से किसी भी प्रकार का वेतन, मानदेय भुगतान नहीं किये जाने का आदेश जारी किया गया था। ग्राम पंचायतों में 14वें वित्त की राशि तो समाप्त हो चुकी है और वर्तमान 15वें वित्त आयोग मद से पाली जनपद पंचायत कार्यालय में कार्यरत 5 डाटा एंट्री ऑपरेटरों को 10 से 12 हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय का पंचायत स्तर से भुगतान करवाया जा रहा है। कुछ पंचायत के जागरूक सरपंच- सचिव ने 15वें वित्त से डाटा एंट्री आपरेटर मानदेय राशि देने से इनकार कर दिया है जबकि अधिकतर पंचायतों में इसी मद से जनपद कार्यालय के ऑपरेटरों का भुगतान कराया जा रहा है। शासन की ओर से 15वें वित्त में वेतन अथवा मानदेय भुगतान का प्रावधान नहीं रखने के बाद भी जनपद अधिकारियों द्वारा काम पर रखे गए ऑपरेटरों का नियम विपरीत मानदेय भुगतान कराए जाने से ग्राम पंचायतों की मुसीबतें बढ़ गई है और सरपंच-सचिव पेशोपेश में है तथा उन्हें चिंता इस बात की सताने लगी है कि बाद में यदि मानदेय भुगतान को लेकर रिकव्हरी की कार्रवाई उन पर हुई तो उसके जवाबदार क्या जनपद अधिकारी होंगे? इस विषय पर संबंधित अधिकारी भी जवाब देने से बच रहे हैं। ऐसे में डिजिटल योजना के तहत ग्राम पंचायतों को कम्प्यूटरीकरण कर कार्यों में पारदर्शिता ला एक सार्थक पहल तो जरूर किया गया है, किंतु कम्प्यूटर ऑपरेटरों के मानदेय भुगतान को लेकर होने वाली दिक्कतों से आशंकित भी रखा गया है। यह हालात पाली जनपद में ही नहीं वरन कटघोरा व पोड़ी-उपरोड़ा जनपद पंचायत में भी निर्मित है, जो निकट भविष्य में 15वें वित्त मद से मानदेय राशि का भुगतान करने वाले ग्राम पंचायतों के लिये गले की फांस भी बन सकती है। दूसरी ओर पाली जनपद अधिकारियों के गैर जिम्मेदाराना रवैये से मनरेगा शाखा में भारी-भरकम भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है, जिसमें मनरेगा प्रभारी द्वारा मोटी कमीशन लेकर ग्राम पंचायतों को पक्के निर्माण की स्वीकृति देने और इस योजना के तहत पुलिया, नाली, रिटर्निग वाल निर्माण में जमकर धांधली किये जाने की खबर उभरकर आ रही है। वहीं जिन पंचायतों में स्वीकृत कार्य अब तक नहीं हुए उनका राशि भुगतान हो चुका और जिन पंचायत में निर्माण पूर्ण हो चुके है वहां के सरपंच-सचिव भुगतान पाने मनरेगा शाखा प्रभारी का चक्कर दर कक्कर काट रहे हैं।

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