ग्राम्य भारती महाविद्यालय हरदीबाजार में मनाया गया रासेयो का स्थापना दिवस
0 वरिष्ठ स्वयंसेवकों का सम्मान, नवीन स्वयंसेवकों का स्वागत
कोरबा (हरदीबाजार)। राष्ट्रीय सेवा योजना देश के युवाओं को समाजसेवा से जोड़ने वाली भारत सरकार के युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय द्वारा संचालित एक सक्रिय योजना है। इसका उद्देश्य समाज सेवा के माध्यम से व्यक्तित्व का विकास करना है। इसकी स्थापना 24 सितंबर 1969 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जन्मशताब्दी पर तत्कालीन शिक्षामंत्री डॉ. वी.के.आर.वी. राव ने 37 विश्वविद्यालयों में की थी। इसकी मुख्य गतिविधि वाले क्षेत्रों में शिक्षा और साक्षरता, स्वास्थ्य, परिवार कल्याण और पोषण, स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक सेवा कार्यक्रम, महिलाओं की स्थिति में सुधार, उत्पादन उन्मुख कार्यक्रम, आपदा राहत तथा पुनर्वास संबंधी कार्यक्रम, सामाजिक बुराइयों के खिलाफ अभियान, डिजिटल भारत, कौशल विकास, योग आदि प्रमुख कार्यक्रमों के बारे में जागरूकता पैदा करना इत्यादि शामिल हैं। वर्तमान में भारत में लगभग 40 लाख तथा छत्तीसगढ़ में इस योजना से एक लाख से अधिक स्वयंसेवक जुड़े हुए हैं। हर साल इसका स्थापना दिवस ऐसे समस्त व्यक्तियों के सम्मान का दिवस होता है जिन्होंने आप से बढ़कर अपने समाज हेतु कुछ कार्य किया है।
इसी कड़ी में वरिष्ठ स्वयंसेवकों के सम्मान तथा नवीन स्वयंसेवकों को इस योजना की वृहद जानकारी देने के उद्देश्य से रासेयो के 55वें स्थापना दिवस के अवसर पर ग्राम्य भारती महाविद्यालय में एक अभिमुखीकरण सत्र का आयोजन किया गया। महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. शिखा शर्मा के संरक्षण एवं मार्गदर्शन तथा महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य एवं रासेयो के कार्यक्रम अधिकारी प्रो. अखिलेश पाण्डेय के नेतृत्व में आयोजित इस कार्यक्रम का शुभारंभ माता सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर तथा रासेयो के प्रतीक पुरुष स्वामी विवेकानंद के तैलचित्र पर पुष्पार्पण कर किया गया। तत्पश्चात सभागार छत्तीसगढ़ के राज्य गीत अरपा पैरी के धार तथा रासेयो के लक्ष्य गीत उठें समाज के लिए उठें उठें से गुंजित हो उठी। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित वरिष्ठ स्वयंसेवकों को पुष्पगुच्छ भेंट करके सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की भूमिका रखते हुए प्रो. पाण्डेय ने रासेयो के इतिहास, इसके संगठन तथा वित्तीय व्यवस्था, इसके उद्देश्य, लक्ष्य, सिद्धांत तथा थीम, इसके अंतर्गत आने वाली प्रमाण पत्र योजनाएं, माहवार मुख्य राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय दिवसों पर आयोजित किये जाने वाले विभिन्न कार्यक्रम तथा इसके अंतर्गत चलाये जाने वाले विशेष शिविरों की विस्तृत जानकारी सभा को दी। साथ ही उन्होंने इस योजना के अंतर्गत महाविद्यालय में चलाए जा रहे विशेष अभियानों जैसे रक्तदान समूह का गठन जिसमें विभिन्न क्षेत्रों से आने वाले स्वेच्छा से सदा रक्तदान के लिए तत्पर लगभग 150 स्वयंसेवक का समूह, मतदाता जागरूकता एवं पंजीयन हेतु चलाए जा रहे विशेष अभियान, जल संरक्षण हेतु सोख्ता गड्ढों का निर्माण इत्यादि शामिल हैं का वार्षिक प्रतिवेदन भी प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में उपस्थित रासेयो के वरिष्ठ स्वयंसेवक रामेश्वर आदित्य ने सत्र की बौद्धिक गोष्ठी में सभा को संबोधित करते हुए कहा कि रासेयो में शामिल समस्त छात्र बहुसंख्य सामुदायिक कार्यक्रमों में सम्मिलित होकर अपने व्यक्तित्व को निखारने के साथ-साथ अपने अंदर परोपकार की भावना का विकास भी करते हैं, जिससे उनमें संगठात्मक क्षमता तथा नेतृत्व कौशल का विकास होता है। बसंत कंवर ने कहा कि इस योजना में शामिल छात्र-छात्राएं देशप्रेम की भावना से ओतप्रोत होते हैं और विभिन्न क्षेत्रों में अपना महत्वपूर्ण योगदान देकर देश और समाज को उन्नतिशील बनाते हैं। विपिन शर्मा ने समाज के लोगों को जागरुक करके समाज की सेवा को ही सबसे बड़ी सेवा बताया तथा रासेयो से जुड़े अपने अनुभवों को सभा के साथ साझा करते हुए कहा कि रासेयो से शैक्षणिक प्रगति के साथ-साथ छात्रों का मानसिक शारीरिक और आध्यात्मिक विकास भी होता है। विनोद पटेल तथा अरुण कुमार खाण्डेकर ने भी अपने विचार व्यक्त किये। सत्र के द्वितीय भाग में युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय द्वारा 15 सितंबर से 2 अक्टूबर तक चलाए जा रहे राष्ट्रव्यापी स्वच्छता ही सेवा अभियान के अंतर्गत आमजन को श्रमदान का महत्व समझाने हेतु स्वयंसेवकों ने महाविद्यालय के बाहरी एवं भीतरी परिसर तथा क्रीड़ा मैदान में सफाई अभियान चलाया। छात्र-छात्राओं ने झाड़ियां काटी एवं कूड़ा निस्तारण किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में महाविद्यालय के भूगर्भशास्त्र विभाग के अतिथि व्याख्याता प्रकाश मिरी, अंग्रेजी विभाग के सहायक प्राध्यापक मुकेश कुमार तथा राष्ट्रीय सेवा योजना के दुर्गेश कुंभकार, मनीष पैकरा, आकाश कुमार, भूपेंद्र पाल कंवर, मुकेश कुमार, विक्रम सिंह, सुशील कुमार, अमित कुमार, अखिलेश कुमार, मनीष कुमार, रामशरण श्रीवास, जीत प्रकाश, भारती कुंभकार, नम्रता साहू, चित्ररेखा, भावना, दर्शना, राजनंदनी श्रीवास एवं अन्य स्वयंसेवकों की भूमिका सराहनीय रही।