खुले हाइवा और ट्रकों से हो रहा राखड़ का परिवहन
0 परिवहन और डंपिंग में नियमों की अनदेखी
कोरबा। औद्योगिक संयंत्रों से निकलने वाले राखड़ के परिवहन और डंपिंग में नियमों की अनदेखी हो रही है। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा 28 अगस्त 2019 को सुप्रीम कोर्ट के निर्देेश पर राखड़ परिवहन और डंप करने को लेकर नई गाइडलाइन जारी की गई थी। इसके मुताबिक ओपन ट्रक, हाइवा में राखड़ का परिवहन नहीं किया जा सकेगा। कैप्सूल वाहन की तरह चारों तरफ से पैक ट्रकों से ही राखड़ का परिवहन होगा, लेकिन कोरबा जिले के सभी उद्योग प्रबंधन ओपन हाइवा और ट्रकों के माध्यम से राखड़ का परिवहन करा रहे हैं।
केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की गाइडलाइन कहती है कि महज त्रिपाल ढंकने भर से राखड़ को पर्यावरण में घुलने से बचाया नहीं जा सकता। इसलिए जरूरी है कि पूरी तरह से बंद वाहनों के भीतर राखड़ भर कर परिवहन हो। शहर और उपनगरीय इलाकों से हर रोज तीन सौ वाहनों से राखड़ का परिवहन हो रहा है। जिन प्रमुख मार्गों पर राखड़ का परिवहन हो रहा है उस मार्ग पर अन्य वाहनों का चलना मुश्किल हो गया है। सड़क काली से सफेद हो चुकी है। लोगों का सांस लेना तक मुश्किल हो चुका है। किसी भी गाइडलाइन का पालन नहीं हो रहा है न ही पालन कराने को लेकर प्रशासन गंभीर है। उद्योग और ट्रांसपोर्टर कम खर्च में राखड़ परिवहन कराने में लगे हुए हैं। एक तरह से राखड़ परिवहन को माल ढुलाई की तरह बनाकर रख दिया गया है। प्रतिदिन वजन और ट्रिप के हिसाब से राशि का भुगतान हो रहा है। उद्योगों को डैम खाली होने से मतलब है। राखड़ कहां डंप हो रहा है नियमों का पालन हो रहा है कि नहीं, इसकी जिम्मेदारी से उद्योगों ने अपने को अलग कर रखा है। राखड़ परिवहन को लेकर पर्यावरण संरक्षण मंडल और उद्योग प्रबंधन केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की गाइडलाइन के मुताबिक राखड़ परिवहन नहीं कर रहे हैं। किसी भी एक गाइडलाइन का पालन नहीं किया जा रहा है। यही वजह है कि राखड़ परिवहन को लेकर जन आक्रोश अब बढ़ने लगा है। राखड़ को अगर लो लाइन एरिया में डंप करना हो तो पूरी तरह से पैक वाहनों में ही परिवहन किया जाए। छोटे टैंकर या फिर बड़े कैप्सूल वाहन का उपयोग किया जाए। मगर इसके पालन में कोताही बरती जा रही है।