October 5, 2024

सुपर क्रिटिकल पावर प्लांट को रेल लाइन से कोयला भेजने की तैयारी

0 प्लांट स्थापना से पहले पुराने रेल लाइन का हो रहा सर्वे
कोरबा।
दूसरे चरण की 1320 मेगावाट क्षमता की एचटीपीपी विस्तार संयंत्र की एमजीआर (मैरी गो राउंड) लाइन में रेलवे की मालगाड़ी दौड़ेगी। 660 मेगावाट की दो सुपर क्रिटिकल यूनिट के थर्मल आधारित पावर प्लांट में सालाना 6 लाख 50 हजार टन कोयले की खपत होगी। कुसमुंडा खदान से पुराने 1340 मेगावाट क्षमता के एचटीपीपी पावर प्लांट तक खीचीं गई कन्वेयर बेल्ट के अलावा संयंत्र की एमजीआर लाइन भी कोयला आपूर्ति में सहायक बनेगी। पुरानी रेल लाइन पर ही रेलवे की राइट्स सर्वे कर रही है, अभी इस रेल लाइन से मालगाड़ी की आवाजाही बंद है।
एचटीपीपी पावर प्लांट की क्षमता 1340 मेगावाट है। 210 मेगावाट की चार इकाई और 500 मेगावाट की एक इकाई स्थापित है। उत्पादन कंपनी का यह प्लांट प्रदेश कंपनी की सर्वाधिक बिजली आपूर्ति करने वाला संयंत्र है। एचटीपीपी पावर प्लांट के पहले चरण का विस्तार कर 500 मेगावाट की यूनिट स्थापित की गई थी। अब दूसरे चरण के विस्तार में 660 मेगावाट की दो सुपर क्रिटिकल टेक्नोलॉजी की पावर प्लांट लगेगी। पर्यावरणीय मंजूरी को लेकर जनसुनवाई के बाद अब आगे की प्रक्रिया को पूरा किया जा रहा है। इसकी मंजूरी केंद्रीय वन व पर्यावरण मंत्रालय से मिलने के बाद पावर प्लांट के निर्माण के लिए टेंडर की प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा। 1320 मेगावाट क्षमता के नए पावर प्लांट की सालाना कोयले की खपत 6 लाख 50 हजार टन होगी। कुसमुंडा खदान से पुराने एचटीपीपी संयंत्र तक कन्वेयर बेल्ट बिछायी गई है। इस कन्वेयर बेल्ट से ही इस संयंत्र की कोयले की जरूरतें पूरी हो रही है। नया पावर प्लांट बनने के बाद कन्वेयर बेल्ट से ही कोयले की आपूर्ति जरूर होगी। मगर एचटीपीपी विस्तार संयंत्र की एमजीआर लाइन भी बनेगी, जिसमें रेलवे की मालगाड़ी दौड़ेगी और नए संयंत्र तक जरूरत के मुताबिक कोयले की आपूर्ति में सहायक बनेगी। इसे लेकर पुरानी रेल लाइन पर ही रेलवे की राइट्स सर्वे कर रही है। एसईसीएल सुराकछार खदान के कोल साइडिंग तक पुराने एचटीपीपी संयंत्र तक यह पुरानी रेल लाइन बिछी हुई है। हालांकि कोयला परिवहन में लगी मालगाड़ियों की आवाजाही बंद होने से कई जगहों पर सड़क बनने के दौरान गुजरी रेल लाइन में रेल पटरी के ऊपर ही डामरीकरण कर दिया गया है। नए संयंत्र की बनने वाले एमजीआर लाइन से कोयले की आपूर्ति करने पुरानी रेल लाइन का इस्तेमाल करने सर्वे का काम शुरू हो गया है। एचटीपीपी संयंत्र परिसर में ही इरेक्टर हॉस्टल के आसपास नए पावर प्लांट के निर्माण को लेकर जगह चिन्हित की गई है। इसके पीछे सिंचाई विभाग की जमीन पर एमजीआर लाइन बनेगी और यहां से संयंत्र तक कोयले की आपूर्ति की जाएगी। सिंचाई विभाग की यह जमीन उत्पादन कंपनी अधिग्रहित करने प्रक्रिया पूरी करेगी। इसकी मंजूरी मिलने पर काम शुरू होगा।
0 खदान बंद पर साइडिंग का हो रहा इस्तेमाल
पर्यावरणीय मंजूरी नहीं लेने से एसईसीएल की सुराकछार खदान बंद हो गई है। मगर यहां के साइडिंग को अभी भी कोयले के परिवहन के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। एसईसीएल की ही अंडरग्राउंड माइंस सिंघाली, ढेलवाडीह की कोयला भी यहां के साइडिंग से परिवहन किया जाता है। सर्वे के बाद रेलवे मंत्रालय की मंजूरी मिलने पर इस कोल साइडिंग से ही एचटीपीपी के नए संयंत्र को कोयला परिवहन किया जा सकेगा।
0 कन्वेयर बेल्ट से रोजाना 24 हजार टन कोयला आपूर्ति
कुसमुुंडा खदान से एचटीपीपी संयंत्र तक बिछी तीन कन्वेयर बेल्ट से रोजाना की औसत कोयला आपूर्ति 24 हजार टन की है। खदान से पावर प्लांट की 14 किलोमीटर की दूरी तक कन्वेयर बेल्ट बिछा हुआ है। संयंत्र की 210 मेगावाट की चार इकाई के लिए दो लाइन और 500 मेगावाट की एक इकाई के लिए एक अन्य कन्वेयर बेल्ट की लाइन है। पुरानी रेल लाइन बीसीपीपी प्लांट दर्री के किनारे से होते हुए सुराकछार से साइडिंग तक बिछी है।

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