अजब CSEB के गजब कारनामे..डॉक्टरों को लाखों का भुगतान फिर भी इलाज के लिए कर्मचारी लगा रहे निजी अस्पतालों के चक्कर
नवनीत राहुल शुक्ला, कोरबा
कोरबा 08 सितंबर। यूं तो कहने के लिए विद्युत उत्पादन कंपनी ने अपने कर्मचारियों को बेहतर उपचार सुविधा उपलब्ध कराने हेतु अस्पताल बनाया है और अस्पताल में सर्जन, डॉक्टर व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों की पदस्थापना भी की है परंतु इसके बाद भी अस्पताल में उचित उपचार सुविधा उपलब्ध नही हो पा रही है। जब कंपनी के अधिकारी व कर्मचारी उपचार हेतु सी.एस.ई.बी मुख्य अस्पताल पहुंचते है तो उन्हें प्राथमिक उपचार पर्यन्त कोरबा के किसी निजी अस्पताल या अन्य जिले के अस्पतालों में रिफर कर दिया जाता है। कई बार स्थिती गंभीर होने पर अप्रिय घटना घट जाती है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अस्पताल में ऑपरेशन करने के लिए सर्जन के साथ अन्य स्टाफ भी हैं, जिन्हें कंपनी प्रतिमाह लाखों रुपये वेतन भी दे रही है, परंतु अस्पताल में 10 सालों से एक भी सर्जरी नही की गई है। प्रबंधन का कहना है कि सर्जरी के लिए अन्य सुविधाएं उपलब्ध नही होने के कारण सर्जरी नही हो पा रही है। अब सवाल यह उठता है कि सर्जन को प्रतिमाह लाखों का भुगतान कर रही कंपनी सर्जरी हेतु वांछित सुविधा उपलब्ध कराने में उदासीनता क्यों दिखा रही है। क्या कारण है कि सर्जरी की सुविधा 1 या 2 नही अपितु 10 साल से उपलब्ध नही हो पा रही है। क्या कंपनी यह नही चाहती की जिन डॉक्टरों को वह लाखों रुपये भुगतान कर रही है उनके कौशल व सेवा का लाभ कंपनी के कर्मचारियों को प्राप्त हो।
20 साल पहले की बात करें जब जिले में निजी अस्पताल न के बराबर थे तो इसी अस्पताल में बड़े से बड़े ऑपरेशन व उपचार की सुविधा मिलती थी। समय के साथ साथ यह सारी सुविधाएं आखों से ओझल हो गयी है। आज आलम यह है कि कंपनी को सेवा दे रहे कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी/कर्मचारी अपनी छोटी बड़ी बीमारी के उपचार के लिए निजी अस्पतालों के चक्कर लगाने को मजबूर हैं।
सुविधाओं की कमी या कमीशन का खेल ?
वर्तमान समय में जहां स्वास्थ्य सुविधा के क्षेत्र में कमीशन का खेल धड़ल्ले से चल रहा है, डॉक्टरों द्वारा अपने चहेते पैथोलॉजी लैब में टेस्ट कराने से लेकर दवाइयां लेने के लिए मेडकल दुकानों का नाम भी मरीजों को मौखिक व लिखित में प्रदान किया जाता है व जिस खेल से सभी भलीभांति परिचित भी है, तो ऐसे में सी.एस.ई.बी मुख्य अस्पताल प्रबंधन पर भी आरोप लगना कोई बड़ी बात नही। अस्पताल में सुविधाओं से वंचित लोग अब अस्पताल प्रबंधन पर निजी अस्पतालों से सांठगांठ का आरोप लगाने लगे हैं। उनका कहना हैं कि जब कंपनी डॉक्टरों को बिना कार्य के लाखों रुपया वेतन दे सकती है तो इलाज के लिए वांछित सुविधाओं पर क्यों पैसा नही खर्च किया जा रहा है। यदि अस्पताल में किसी मरीज का इलाज हो ही नही सकता तो फिर अस्पताल में डॉक्टरों की उपयोगिता ही क्या है ? क्यों उन्हें बैठे बिठाए प्रतिमाह लाखों रुपये का वेतन दिया जा रहा है? बहरहाल ऐसे समय मे जब थोड़ी बहुत ऊपरी कमाई से किसीको परहेज नही रह गया है, सी.एस.ई.बी अस्पताल प्रबंधन पर लग रहे निजी अस्पतालों से सांठगांठ के आरोपों को नजरअंदाज करना मुश्किल है।