पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से सिंघाली खदान को नहीं मिला उत्पादन सर्टिफिकेट
0 कोयला निकाल पाने में नाकाम हो रहा है प्रबंधन, हाजिरी लगाकर खाली हैं कर्मी
कोरबा। सिंघाली खदान से कोयला खनन के लिए छत्तीसगढ़ पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से एसईसीएल को सीटीओ का प्रमाण पत्र नहीं मिल सका है। खदान में लगभग 600 कोल कर्मी कार्यरत हैं। उक्त कर्मचारी 8-8 घंटे की तीन शिफ्ट में खदान में काम करते हैं। कुछ कर्मचारी खदान के कार्यालय में भी कार्यरत हैं। जब से खदान में काम बंद है तब से प्रबंधन को रोजाना आर्थिक नुकसान हो रहा है।
पहले बताया गया कि लोकसभा चुनाव में अधिकारियों की व्यस्तता के कारण सर्टिफिकेट मिलने में देरी हुई। लोकसभा चुनाव के लिए वोटिंग हुए एक सप्ताह गुजर गए हैं इसके बाद भी एसईसीएल को पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से सीटीओ प्रमाण पत्र नहीं मिल रहा है। इससे सिंघाली में कोयला खनन का संकट पैदा हुआ है। एक तरफ हाजिरी लगाकर मजदूर काम किए बिना लौट जा रहे हैं तो दूसरी ओर उत्पादन नहीं होने से कंपनी की आर्थिक स्थिति खराब हो रही है। इस स्थिति में कंपनी को दो-दो मोर्चों पर नुकसान उठाना पड़ रहा है। खदान के भीतर पंप चलाने या इलेक्ट्रिक जैसे अन्य महत्वपूर्ण कार्यों के लिए ही कंपनी काम करा पा रही है। 28 अप्रैल से इस खदान से उत्पादन बंद है। कोयले का एक भी ढेला बाहर नहीं निकल रहा है। इससे कंपनी की आर्थिक परेशानी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इसका कारण सीटीओ (कंसर्न टू ऑपरेट) प्रमाण पत्र का नहीं मिलना है।
सीटीओ प्रमाण पत्र राज्य पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की ओर से कोयला कंपनी को खनन के लिए दिया जाता है। यह प्रमाण पत्र हर साल रेन्यूअल होता है। वर्तमान में प्रमाण पत्र की वैधता 27 अप्रैल को खत्म हो चुकी है, तब से यहां से कोयला खनन बंद हो गया है। 14 दिन का समय बीत गया है, लेकिन सीटीओ प्रमाण पत्र एसईसीएल को पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से नहीं मिला है। इससे कंपनी का स्थानीय प्रबंधन परेशान है। चाहकर भी मैन पावर का इस्तेमाल खनन के लिए नहीं कर पा रहा है। एसईसीएल की सिंघाली कोयला खदान से हर माह औसत 24 हजार टन कोयला उत्पादन होता है। प्रतिदिन औसत 600 से 700 टन कोयला बाहर निकलता है। जब से खदान में उत्पादन ठप है तब से खदान के भीतर फेस पर कोयला खनन का कार्य बंद है। खदान के भीतर चलने वाली भारी मशीनें खड़ी है।