December 26, 2024

फसल बीमा कराने को लेकर किसानों में रूचि हो रही कम

0 घटती जा रही किसानों की संख्या, क्लेम राशि पाने लगाने पड़ते हैं चक्कर
कोरबा।
फसल के दौरान कई बार किसानों को मौसम की मार झेलनी पड़ती है। फसल को आंधी, पानी व सूखा के कारण होने वाली भारी नुकसान होने पर क्षतिपूर्ति के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा कराया जाता है, लेकिन यह बीमा सक्षम किसानों के लिए कारगर साबित नहीं हो रहा है। बीमा कंपनियां प्रीमियम की राशि पूरी ले लेते हैं, लेकिन मौसम में बदलाव के बीच जब आंधी, बारिश व सूखे की स्थिति बनती है। किसानों की फसल बर्बाद हो जाती है। इसकी सूचना दी जाती है, तब किसानों को अलग-अलग नियमावली का हवाला लेकर चक्कर लगवाया जाता हैै। प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी लागत के अनुरूप किसानों को मुआवजा नहीं मिल पाता। इस कारण बीमा कराने को लेकर किसानों में रुचि लगातार कम हो रही है।
जिले में खरीफ एवं रबी फसल का बीमा कराने वाले किसानों में रुचि हर साल कम हो रही है। इसमें अऋणी किसान शामिल हैं। इसकी वजह सक्षम किसानों के फसल को नुकसान होने के बाद भी पर्याप्त मुआवजा राशि नहीं मिलना है। इस कारण चार साल पहले की अपेक्षा 2022-23 में 40 फीसदी किसानों ने फसल का बीमा कराया था, जबकि 60 फीसदी किसानों ने इस योजना से दूरी बना ली।
जिले के अधिकांश किसान खरीफ सीजन में अनाज, दलहन, तिलहन सहित अन्य फसल लेते हैं। रबी सीजन में धान फसल लेते हैं, लेकिन कई इलाके में सिंचाई की पर्याप्त सुविधाएं नहीं होने से रबी फसल लेने वाले किसानों की संख्या काफी कम है। विभागीय आंकड़े देखें तो वर्ष 2019-20 में 12 हजार 704 ने फसल का बीमा कराया था। अलगे ही साल से फसल बीमा कराने वाले किसानों की संख्या में कम होती चली गई। वर्ष 2022-23 में 4729 किसानों ने फसल का बीमा कराया था। बताया जा रहा है कि फसल के नुकसान पर सिर्फ सूखा या फिर बाढ़ होने पर अधिक लाभ मिलता है। इसके अलावा कीटनाशकों के कारण या फिर बीज खराब होने पर जब फसल खराब होने पर मुआवजा नहीं मिल पाती है। दरअसल किसान ये प्रमाणित नहीं कर पाते हैं कि कीटनाशक या फिर बीज में किसी तरह की कमी या खराबी है।

Spread the word