बारिश से खदानों में आधा हुआ उत्पादन, संयंत्रों में कोल स्टॉक कम
कोरबा। जिले में स्थित छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी की इकाई कोरबा पश्चिम और डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ताप विद्युत गृह को एसईसीएल के कोरबा में स्थित खदान से कोयले की आपूर्ति होती है। पिछले 15 दिन से कोरबा जिले में रुक-रुककर झमाझम बारिश हो रही है। इससे उत्पादन संकट गहरा गया है। बारिश से पूर्व जहां गेवरा में रोजाना लगभग डेढ़ लाख टन कोयला खदान से बाहर निकल रहा था, वह अब घटकर 50 हजार टन के आसपास हो गया है। यही हाल कुसमुंडा और दीपका का भी है।
मानसून से पहले कोरबा जिले की खदानों से रोजाना रेल मार्ग के रास्ते औसतन 40 से 45 रैक (मालगाड़ी) कोयला प्रदेश के अलावा दूसरे राज्यों के बिजली घरों को भेजा जाता था। जब से बारिश शुरू हुई है तब से कोयला परिवहन लगातार गिर रहा है। बड़ी मुश्किल से 20 से 22 रैक ही कोयले की आपूर्ति बिजली घरों को हो रही है। पखवाड़े भर से कोरबा जिले में हो रही झमाझम बारिश का असर अब उद्योग धंधों पर भी पड़ने लगा है। दुनिया की दूसरी और चौथी कोयला खदान गेवरा और कुसमुंडा से उत्पादन आधा हो गया है। कोयला निकालने में दीपका खदान की सांसें फूल रही है। इसका असर बिजली घरों पर दिखने लगा है। प्रदेश के अधिकांश बिजली घरों में कोयले का संकट खड़ा हो गया है। सबसे खराब स्थिति छत्तीसगढ़ बिजली उत्पादन कंपनी के कोरबा पश्चिम संयंत्र की है। संयंत्र में तीन से चार दिन के लिए कोयला बचा है। एनटीपीसी के साथ-साथ बालको संयंत्र में भी कोयले का स्टॉक संतोषजनक नहीं है। इसका खुलासा सीईए (सेंट्रल एनर्जी आथॉरिटी) की ताजा रिपोर्ट में हुआ है। इसमें बताया गया है कि कोरबा जिले में स्थित हसदेव ताप विद्युत गृह में वर्तमान में 88 हजार टन कोयला उपलब्ध है, जबकि संयंत्र को 85 फीसदी लोड के साथ चलाने के लिए रोजाना 19 हजार 900 टन कोयले की जरूरत पड़ती है। इसके अनुसार संयंत्र में मात्र चार दिन के लिए उपलब्ध है। इस संयंत्र से 1340 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाता है।
कोल स्टॉक के मामले में बालको और एनटीपीसी कोरबा संयंत्र की स्थिति भी ठीक नहीं है। ईंधन की उपलब्धता के मामले में 2600 मेगावाट क्षमता वाले एनटीपीसी के जमनीपाली स्टेशन में वर्तमान में दो लाख 44 हजार टन कोयला उपलब्ध है। संयंत्र को रोजाना 36 हजार टन कोयले की जरूरत पड़ती है। इसके अनुसार इस संयंत्र में छह दिन के लिए कोयला उपलब्ध है। सेंट्रल एनर्जी अथॉरिटी के अनुसार एनटीपीसी के जमनीपाली स्टेशन और छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल के कोरबा पश्चिम संयंत्र में न्यूनतम 13 दिन के लिए कोयले का स्टॉक होना जरूरी है, ताकि आपातकालीन स्थिति में भी संयंत्र को भी चलाया जा सके।