कुदमुरा में डी एम एफ की राशि का सरपंच सचिव ने किया गबन, प्रशासन की चुप्पी से भ्रष्टाचार को बढ़ावा
कोरबा 14 अक्टूबर। ग्राम पंचायतों में डीएमएफ की राशि से किए जाने वाले विकास कार्यों मेें भ्रष्टाचार का मामला ग्राम पंचायत कुदमुरा में सामने आया है। मामला उजागर होने के बाद भी जिम्मेदार अधिकारियों की चुप्पी से सरपंच-सचिव के हौसले बुलंद हैं और दूसरी योजनाओं में भी बंदरबांट करने तत्पर हैं। यहां सीसी रोड और अस्पताल में अहाता निर्माण के नाम पर 14 लाख रुपए ग्राम सरपंच द्वारा आहरित कर निर्माण कार्य को कराया ही नहीं गया।
जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत कुदमुरा में जिला खनिज न्यास मद से ग्राम तराईमार सड़क से भारत भवन तक 200 मीटर लंबी सीसी रोड लागत 15 लाख रुपए एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में अहाता निर्माण के लिए डीएमएफ से 20 लाख रुपए स्वीकृत हुए थे। सीसी रोड निर्माण की पहली किश्त 6 लाख और अहाता निर्माण की पहली किश्त की राशि 8 लाख रुपये आहरित कर लिया गया है लेकिन कार्य के नाम पर कुछ भी नहीं हुआ है। बिना कार्य कराए पंचायत के सरपंच ने कुल 14 लाख रुपए का आहरण कर लिया है। उक्त निर्माण कार्य की राशि निकालने के बाद अब भी निर्माण कराने ध्यान नहीं दिया जा रहा है जिससे स्पष्ट है कि कमीशन का खेल कर शासन के पैसे को चूना लगाया जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि ग्राम तराईमार मुख्य सड़क से मनरेगा भारत भवन तक बनाए जाने वाले सीसी रोड का निर्माण के नाम पर 6 लाख रुपए आहरित तो किए गए जबकि वहां पर एक गिट्टी तक नहीं डाली गई है, केवल जमीन को खोदा गया है। इसी तरह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का अहाता निर्माण के नाम पर 8 लाख रुपए निकालने के बावजूद कार्य के एवज में निर्माण स्थल पर केवल रेत ही डम्प किया गया है। अब कोरोना के कारण लाकडाउन और अन्य तरह के बहाने बनाकर गुमराह किया जा रहा है जबकि अधिकारियों के द्वारा संज्ञान ले कर जांच पड़ताल करने की बजाय इन्हें एक तरह से मनमानी की छूट दे रखा गया है।
स्थानीय ग्रामीणों का सरपंच पर आरोप है कि उक्त रकम को अपने निजी कार्य खेती-बाड़ी में लगाकर दुरुपयोग किया गया है। इस बात की जानकारी पंचायत के पंचों और ग्रामीणों को लगी तो पंचों ने कहा है कि निर्माण कार्य के नाम पर राशि का दुरूपयोग मनमानी तरीके से किया जा रहा है। पंचों को इसकी जानकारी तक नहीं है। ग्रामीणों में आक्रोश है कि जनपद के अधिकारियों की उदासीनता के चलते ग्राम पंचायतों में जनप्रतिनिधि निरंकुश हो चले हैं और योजनाओं में लाखों रुपये का बन्दरबांट हो रहा है लेकिन जनपद के जिम्मेदारों के कान में जूं तक नहीं रेंग रही है। जनपद के अधिकारी उदासीन बने हैं किंतु जिला पंचायत के भी अधिकारी संज्ञान नहीं ले रहे।