टिकट के दौड़ में दागदार चेहरे, क्या गलेगी जनता के सामने दाल?
कोरबा। एक ओर राजनीति के आपराधिककरण पर रोक के प्रयास किए जा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर राजनीतिक पार्टियां दागी चेहरों पर दांव लगाने से नहीं चूक रही है। कोरबा जिला के चारों विधानसभा क्षेत्र में भी कुछ दागी चेहरे किस्मत आजमाने के प्रयास में हैं, लेकिन इस बार जनता आपराधिक छवि वाले नेताओं को नकार सकती है। जिस तरह से राजनीति के आपराधिककरण को दूर करने लोगों में जागरूकता देखने को मिल रही है। उसका असर कोरबा जिला की चारों सीटों में भी देखने को मिल सकता है। खासकर शहरी इलाका होने के कारण कोरबा विधानसभा क्षेत्र में आपराधिक छवि वाले नेताओं को नकारे जाने की अधिक संभावना है।
सुप्रीम कोर्ट में दागी नेताओं के चुनाव लडऩे पर रोक लगाने की याचिका लगाई गई थी। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने दागी नेताओं के चुनाव लडऩे पर रोक तो नहीं लगाई है, लेकिन इस दिशा में सख्ती जरूर दिखाई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिस प्रत्याशी के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हों, वह नामांकन के समय हलफनामा जब दाखिल करें तो आपराधिक मामले के बारे में बोल्ड अक्षरों में लिखें। वोटर को इस बात का पूरा अधिकार है कि वह जाने कि प्रत्याशी का क्रिमिनल रिकॉर्ड क्या है? अदालत ने कहा कि अगर कोई प्रत्याशी चुनाव लड़ता है तो राजनीतिक पार्टी उसके आपराधिक रिकॉर्ड के बारे में मीडिया के जरिये विस्तार से लोगों को बताए. प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक सभी प्रकार के विज्ञापनों में इसकी जानकारी देने को कहा गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सारे राजनीतिक दलों को अपनी वेबसाइट पर सभी उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास की जानकारी देनी होगी। इसके अलावा प्रत्याशियों के चुनावी प्रचार-प्रसार पोस्टर में भी आपराधिक रिकॉर्ड को फ्लैस करने के मामले में सुनवाई चल रही है। हालांकि अभी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा कोई निर्णय नहीं दिया गया है। इससे साफ है कि इस बार आपराधिक छवि वाले प्रत्याशियों का चुनाव जीतना आसान नहीं होगा। चुनाव तिथि की घोषणा होने से पहले ही ऐसे कुछ दागी नेता किसी न किसी बहाने लोगों को आकर्षित करने का प्रयास करने लगे थे। कई कार्यक्रमों में मोटा चंदा देकर मुख्य अतिथि बनने तक की कवायद दागी नेता करते रहे हैं। अब चुनाव तिथि की घोषणा होने के बाद ऐसे नेता बड़े राजनीतिक दल की टिकट के जुगाड़ में लग गए हैं। दूसरी ओर राजनीतिक दल दागी नेताओं को प्रत्याशी बना भी देते हैं। कुछ बड़े दलों में प्रत्याशियों की सूची घोषित होने में ज्यादा समय नहीं है। कोरबा की चारों सीटों पर कुछ आपराधिक छवि वाले नेता टिकट पाने जोरशोर से जुट गए हैं, लेकिन इस बार आम लोगों में भ्रष्टाचार के खिलाफ गहरा रोष है। करोड़ो के घोटालों के आरोपों एवं कोयला चोरी, भूमाफिया सहित अन्य आपराधिक मामलों से घिरे इन दागी नेताओं को आम जनता एक सिरे से खारिज करने की मानसिकता में दिख रहे हैं। हालांकि कुछ दागी नेता राजनीतिक कारणों से वर्षों बाद भी जेल जाने से बचे हुए हैं, लेकिन ऐसी किसी सफाई से मतदाताओं की धारणा बदलने की संभावना कम ही दिखाई देती है। इस बार कोरबा की जनता दागी प्रत्याशियों को नकारेगी। इस तरह का माहौल बना हुआ है।
उखाड़ रहे गड़े मुर्दे
राजनीति से आपराधिककरण को दूर करने की कवायद के बीच सुप्रीम कोर्ट ने दागी प्रत्याशियों के रिकॉर्ड जनता के सामने रखने आदेशित कर दिया है। इस आदेश के बाद विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता विभिन्न दलों के संभावित प्रत्याशियों के आपराधिक रिकॉर्ड खंगालने लगे हैं। संभावित प्रत्याशियों के पुराने आपराधिक प्रकरण की पड़ताल चल रही है। इसी कड़ी में नेताओं के 50-60 साल पुराने मामले भी खोदे जा रहे हैं। जानकारी तो यह भी है कि जिले के कुछ नेताओं के कोलकोता, दिल्ली से जुड़े आपराधिक रिकॉर्ड भी खंगाले जा रहे हैं।
युवाओं ने भी ठोकी है ताल
विभिन्न राजनीतिक दलों के अलावा इस बार निर्दलीय व छोटे दलों के प्रत्याशी के रूप में युवाओं द्वारा दावेदारी की जाएगी। कई ऐसे युवा भी इस बार चुनाव में अपनी किस्मत आजमाएंगे। जो शिक्षित होने के साथ राजनीति के आपराधिककरण को विशेष मुद्दा बनाकर चुनाव लड़ेंगे। ऐसे युवा नेताओं के प्रचार प्रसार में दागी नेताओं के आपराधिक रिकॉर्ड के कच्चे-चिट्ठे जनता के सामने खोले जाएंगे। दागी प्रत्याशियों के आपराधिक रिकॉर्ड को विशेष मुद्दा बनाकर प्रत्याशी जीत का प्रयास करेंगे। ऐसे में पार्टियां अगर दागी नेताओं को टिकट दे भी देती है तो जनता के दरबार में उनकी पेशी होनी लाजिमी नजर आ रही है।