क्या कोरबा का भी टूटेगा मिथक?
न्यूज एक्शन। कोरबा जिले की चार विधानसभा क्षेत्रों के लिए अलग-अलग मिथक कायम है। एक बार फिर इस बात की चर्चा बनी हुई है कि क्या मिथक टूटेंगे या फिर बरकरार रहेंगे। किसी समय कटघोरा विधानसभा क्षेत्र को कांग्रेस का गढ़ कहा जाता था और वहां विधायक चुनेे जाने पर सरकार बनने की गारंटी रहती थी, लेकिन 90 के दशक में यह मिथक टूट गया और वहां का विधायक चुने जाने पर विपक्षी दल की सरकार बनती रही है। इसी तरह की स्थिति रामपुर की है। जहां जिस पार्टी का विधायक चुना जाता था वहां उसकी सरकार बनती थी। यह मिथक भी पिछले चुनाव में टूट गया। कोरबा और पाली तानाखार का छत्तीसगढ़ का गठन होने के बाद से लगातार विपक्षी विधायक ही चुने जाते रहे हैं। अब इस बात की चर्चा बनी हुई है कि कहीं यहां का भी मिथक तो टूटने वाला नहीं है?
छत्तीसगढ़ राज्य का 2000 में गठन किए जाने के समय कोरबा जिले से भाजपा के दो विधायक कटघोरा से बनवारी लाल अग्रवाल और रामपुर से ननकीराम कंवर रहे हैं। छत्तीसगढ़ राज्य का गठन होने के बाद 2003 में पहला विधानसभा चुनाव हुआ जिसमें कोरबा जिले में भाजपा की स्थिति बिल्कुल बदल गई। पहली बार चुनाव लड़ रहे पाली-तानाखार से रामदयाल उइके कांग्रेस विधायक के रूप में चुने गए और बोधराम कंवर ने बनवारी लाल अग्रवाल को पटखनी दी, लेकिन ननकीराम कंवर रामपुर से विधायक बन गए और उन्होंने भाजपा की सरकार में मंत्री पद संभाला। रामपुर का वैसे भी पुराना रिकॉर्ड यह रहा है कि जिस पार्टी का विधायक चुना जाता रहा है सरकार उसी पार्टी की बनती रही है और यहां के विधायक मध्य प्रदेश से लेकर छत्तीसगढ़ में मंत्री पद को सुशोभित कर चुके हैं। 2008 के विधानसभा चुनाव में कोरबा जिले में परिसीमन के बाद चार विधानसभा क्षेत्र कोरबा, कटघोरा, पाली तानाखार और रामपुर बनाए गए। 2008 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा की स्थिति नहीं बदली और मिथक कायम रहा। जहां कटघोरा से बोधराम कंवर, पाली तानाखार से रामदयाल उइके, कोरबा से जयसिंह अग्रवाल पहली बार विधायक बने और रामपुर विधानसभा क्षेत्र से ननकीराम कंवर फिर निर्वाचित हुए। इसके साथ ही प्रदेश में भाजपा की लगातार दूसरी बार सरकार बनी। 2013 के विधानसभा चुनाव में रामपुर और कटघोरा का मिथक टूट गया। रामपुर से ननकीराम कंवर पराजित हुए और कटघोरा में एक लंबे अरसे के बाद भाजपा विधायक के रूप में लखन लाल देवांगन चुने गए, लेकिन भाजपा की सरकार प्रदेश में फिर बन गई। इस प्रकार कटघोरा और रामपुर का मिथक टूट गया कि जिस पार्टी के विधायक चुने जाते हैं उसकी सरकार नहीं बनती है। रामपुर में कांग्रेस का विधायक चुने जाने के बावजूद भाजपा की सरकार बनी। अब 2008 के चुनाव परिणाम 11 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे। उसके पहले लोगोंं एवं राजनैतिक हलकों में इस बात की चर्चा बनी हुई है कि क्या कोरबा और पाली तानाखार का मिथक टूटेगा या बरकरार रहेगा। चूंकि लगातार पाली तानाखार से तीन बार कांग्रेस विधायक के रूप में निर्वाचित रामदयाल उइके के कार्यकाल में भाजपा की सरकार बनी रही। इसी तरह कोरबा विधानसभा क्षेत्र से भी लगातार दो बार कांग्रेस विधायक के रूप मेें जयसिंह अग्रवाल चुने गए हैं और भाजपा की सरकार प्रदेश में कायम रही है। अब 2008 के चुनाव परिणाम में क्या इतिहास दोहराया जाएगा या फिर नया इतिहास लिखा जाएगा। वैसे भी राजनीति में नए-नए रिकॉर्ड बनते रहे हैं और कई बार मिथक भी टूट जाते रहे हैं। इसी बात को लेकर राजनैतिक हलकों में यह चर्चा बनी हुई है कि कोरबा जिले में भी नया रिकॉर्ड यह कायम होगा।
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