कोरोना वायरस अब RT-PCR टेस्ट को भी दे रहा चकमा, जांच के बाद रिपोर्ट आ रही है निगेटिव
नई दिल्ली 13 अप्रैल। भारत में हाल के दिनों में कोरोना वायरस संक्रमण तेजी से फैल रहा है। कई जानकार मान रहे हैं कि ये वायरस का एक अलग वैरिएंट है जो तेजी से फैल रहा है। वहीं अब ये बात भी सामने आई है कि ये वैरिएंट न केवल तेजी से लोगों को संक्रमित करने की क्षमता रखता है बल्कि टेस्ट को भी चकमा दे रहा है।
देश के प्रमुख समाचार पत्र की एक रिपोर्ट के अनुसार कई अस्पताल इस बात की पुष्टि कर रहे हैं कि उनके पास ऐसे भी मरीज आने लगे हैं जिनमें कोरोना के तमाम लक्षण हैं लेकिन टेस्ट में उनकी रिपोर्ट निगेटिव आ रही है। ऐसे में कई बार दो या तीन बार तक टेस्ट करने पड़ रहे हैं।
यहां तक कि कोरोना की जांच के लिए सटीक माने जाने वाले आरटी-पीसीआर टेस्ट में भी ये परेशानी सामने आ रही है। हेल्थकेयर के डॉक्टर आशीष चौधरी के अनुसार हाल में कई बार ऐसे मौके आए हैं जब मरीज में कोरोना की पारंपरिक टेस्ट से पुष्टि नहीं हुई।
ऐसे में कोरोना की पुष्टि के लिए बाकायदा ब्रोनकोलेवेलोर लावाज (BAL) टेस्ट से मरीजों को गुजरना पड़ा। इसमें मुंह या नाक के जरिए एक स्कोप को फेफड़े तक भेजा जाता है और फिर परीक्षण के लिए सैंपल लिए जाते हैं। इस टेस्ट के जरिए कोरोना की पुष्टि हो सकी लेकिन बाकी जांच में रिपोर्ट निगेटिव आती रही।
एक अन्य हेल्थकेयर से जुड़े डॉक्टर विवेक नानगिया के अनुसार ऐसे करीब 15 से 20 प्रतिशत केस आ रहे हैं। इनमें कोरोना से सभी लक्षण होते हैं लेकिन इनकी रिपोर्ट निगेटिव आती है। उन्होंने कहा कि ये वाकई गंभीर स्थिति है क्योंकि ऐसे में ये मरीज गलतफहमी में कोरोना फैलाने का काम करते हैं।
जानकार ये भी मानते हैं कि मौजूदा समय में कोविड-19 मरीजों के लक्षण में भी बदलाव नजर आ रहे हैं। दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल के डॉक्टर अरुप बासु के अनुसार नाक बहना, कोल्ड और आंख आने जैसे लक्षण हाल के के कोरोना मरीजों में नजर आने लगे हैं।
डॉक्टर बासु के अनुसार कई मरीज ऐसे भी हैं जिन्हें खासी नहीं है या फिर सांस लेने भी तकलीफ नहीं हो रही है। साथ ही उनके फेफड़े की सीटी स्कैन रिपोर्ट भी सामान्य रहती है लेकिन उन्हें 8 से 9 दिनों से लगातार बुखार रह रहा है और ऐसे में मरीजों को अस्पताल में भर्ती करना जरूरी हो जाता है।