December 23, 2024

खीरे के बिना क्यों अधूरी रहेगी श्री कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा?

जन्माष्टमी पर खीरे के बिना भगवान श्री कृष्ण की पूजा अधूरी रह जाती है. आइये जानें जन्माष्टमी पूजा पर खीरे का क्या महत्व होता है?

श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 30 अगस्त 2021 यानी आज पूरे देश के साथ विदेशों में भी मनाया जा रहा है. यह पर्व हिंदू धर्म के अनुयायियों में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखता है. वैसे तो हर श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत महत्वपूर्ण होता है. परंतु इस बार जन्माष्टमी पर 101 साल बाद महा संयोग एवं 27 साल बाद जयंती योग बन रहा है. ऐसे में इस बार की जन्माष्टमी और अधिक महत्वपूर्ण हो गयी है.

धार्मिक मान्यता है कि ऐसे संयोगों में भगवान कृष्ण की विधि- विधान पूर्वक पूजा करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है. उनकी कृपा से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. भगवान श्री कृष्ण की विधि विधान से पूजा करने के लिए खीरा बहुत जरूरी होता है. आइये जानें इसका महत्व.

खीरे के बिना जन्माष्टमी की पूजा क्यों रहती है अधूरी

मान्यता है कि खीरे से भगवान श्री कृष्ण बहुत प्रसन्न होते हैं. खीरा चढ़ाने से नंदलाल भक्तों के सारे कष्ट हर लेते हैं. जन्माष्टमी की पूजा में उस खीरे का उपयोग किया जाता है जिसमें डंठल और हल्की सी पत्तियां भी लगी हो.

मान्यता है कि जब बच्चा पैदा होता है तब उसको मां से अलग करने के लिए गर्भनाल को काटा जाता है. ठीक उसी प्रकार से खीरे को डंठल से काटकर अलग किया जाता है. यह भगवान श्री कृष्ण को मां देवकी से अलग करने का प्रतीक माना जाता है. यह करने के बाद ही भगवान श्री कृष्ण की विधि विधान से पूजा शुरू की जाती है.

Spread the word