नॉन पॉवर सेक्टर को कोयला देने में कटौती, बाहर राज्यों के लिए उदारता
कोरबा 6 फरवरी। कोल इंडिया की सहयोगी कंपनी एसईसीएल ने कई कारणों से छत्तीसगढ़ के नॉन पॉवर सेक्टर को कोयला देने में असमर्थता जतायी है। जबकि दूसरे राज्यों के मामले में उदार रूख बना हुआ है। इन कारणों से स्थानीय उद्योगों के सामने परेशानियां बनी हुई है।
छत्तीसगढ़ इंटक के प्रदेश अध्यक्ष संजय सिंह ने मामले में प्रधानमंत्री, कोयला मंत्री, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री और एसईसीएल के सीएमडी को पत्र लिखकर चिंता जतायी है। कहा गया है कि एसईसीएल के द्वारा पिछले एक वर्ष में उद्योगों को कोयला आपूति में कटौती की गई है। जबकि देश के कूल कोयला भंडार का 18 प्रतिशत हिस्सा छत्तीसगढ़ में मौजूद है। राज्य के 250 के केप्टिव पॉवल प्लांट को चलाने के लिए 32 लाख टन कोयला की जरूरत है जो एसईसीएल के उत्पादन का मात्र 19 प्रतिशत है। जबकि एसईसीएल 165 लाख टन कोयला हर साल खनन कर रहा है। स्थिति यह है कि टीपीपी संयंत्रों में भी 15-20 दिनों के भंडारण लायक कोयला मौजूद नहीं है। जबकि नॉन पॉवर सेक्टर को अनुबंध के अनुसार कोयला नहीं देने से उनके संचालन में दिक्कतें हो रही है। एसईसीएल के पास पर्याप्त कोयला होने के बावजूद राज्य के उद्योगों को आपूर्ति नहीं करना दर्शाता है कि वह इनके प्रचालन में कतई रूचि नहीं ले रहा है। संजय सिंह ने मंत्रियों और अधिकारियों ने पत्र के जरिये बताया कि छत्तीसगढ़ के उद्योगों को बचाने के लिए रोड सेल और रेल सेल के माध्यम से कोयला आपूर्ति प्राथमिकता के आधार पर तय की जानी चाहिए। अगर ऐसा काम नहीं होता है कि छत्तीसगढ़ के उद्योगों को बंद करने की स्थिति निर्मित हो सकती है। ऐसे में यहां पर नियोजित श्रमशक्ति की जीविका के सामने समस्याएं हो सकती है। कहा गया कि एसईसीएल के रवैय्ये से आर्थिक और सामाजिक के साथ-साथ अन्य समस्याएं पैदा हो रही है। इस मामले को लेकर इंटक एसईसीएल मुख्यालय का घेराव करेगा। इस दौरान उत्पन्न होने वाली कानून व्यवस्था की स्थिति के लिए एसईसीएल प्रबंधन ही जिज्मेदार होगा।