November 7, 2024

छत्तीसगढ़ में बिजली के दूसरे विकल्पों के लिए होगा काम

कोरबा 8 मई। राज्य सरकार ने अगले 2030 तक एक बिलियन टन कार्बन उत्सर्जन को घटाने का लक्ष्य रखा है। संसाधनों का उपयोग करते हुए ऊर्जा के नवीकरणीय विकल्पों के लिए कार्य योजना बनाई जाएगी। राज्य सरकार ने ग्लासगो सम्मेलन कोप-26 में 2070 तक जीरो इमीशन प्राप्त करने का संकल्प लिया है। इसमें देश की कुल उर्जा जरूरतों का 50 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा से आपूर्ति और कार्बन उत्सर्जन एक बिलियन टन तक घटाने का निर्णय भी लिया गया है।   

योजना आयोग के मुताबिक प्रदेश में भविष्य के लिए ऊर्जा की जरूरत व उर्जा के विकल्पों के लिए दीर्घकालीन योजना बनाने की जरूरत है। कोरबा में लगभग 88 हजार लोगों की आजीविका कोयला उत्खनन से प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से निर्भर है। इसलिए इस पर विचार करने से पहले सभी पहलुओं पर भी विचार करने की आवश्यकता है। भविष्य में पर्यावरण अनुकूल उर्जा के स्त्रोतों का विकास के साथ.साथ स्थानीय लोगों के सामाजिक आर्थिक जीवन में पडऩे वाले प्रभावों पर ध्यान दिया जाएगा। सबसे अधिक प्रदूषित कोरबा के लिए वन संसाधन, वनोपज, वन प्रसंस्करण उद्योग आजीविका विकास में महत्वपूर्ण हो सकते हैं। राज्य योजना आयोग की ओर से नवा रायपुर के योजना भवन में प्रदूषण व जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों के परिदृश्य में भविष्य के सामाजिक-आर्थिक विकास पर मंथन हुआ। ग्रीनपीस इंडिया और सेंटर फार रिसर्च आन एनर्जी एंड क्लीन एयर सीआरइए की रिपोर्ट 2021 में सर्वाधिक सल्फर डाइआक्साइड गैस उत्सर्जन में मध्य प्रदेश के सिंगरौली, दूसरे नंबर पर तमिलनाडु का नेवेली और तीसरे नंबर पर छत्तीसगढ़ के कोरबा है। छत्तीसगढ़ का कोरबा अकेले 282 किलो टन सल्फर डाइआक्साइड का उत्सर्जन के साथ भारत में तीसरे व विश्व में 17 वें स्थान पर है।   

वन, आवास एवं पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर का कहना है कि पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्बन उत्सर्जन को कम करना जरूरी है। उर्जा की आवश्यकता के लिए संसाधनों का उपयोग करते हुए ऊर्जा के नवीकरणीय विकल्पों के लिए एक व्यापक एवं बैलेंस कार्ययोजना बनाई जा रही है। कोरबा देश और प्रदेश का सबसे प्रमुख कोयला उत्पादक जिला है। यह प्रदेश की दो करोड़ 50 लाख आबादी को उर्जा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वांह कर रहा है। उर्जा के अन्य विकल्पों पर विचार करने के लिए पर्याप्त अधोसंरचना और व्यवस्था विकसित होने तक सतत विकास के लिए कोयला पर निर्भरता अपरिहार्य है।

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