डीएमएफ मद से कोरबा, चिरमिरी में माइनिंग कॉलेज शुरू करने की मांग
0 हितानंद ने मुख्यमंत्री साय को लिखा पत्र, किया अनुरोध
कोरबा। नेता प्रतिपक्ष हितानंद अग्रवाल ने कोरबा लोकसभा अंतर्गत जिला खनिज न्यास मद से कोरबा और चिरमिरी में माइनिंग कॉलेज प्रारंभ करने के लिए सीएम विष्णु देव साय को पत्र लिखा है। साथ ही पिछले 5 वर्षों के कांग्रेस कार्यकाल में डीएमएफ फंड के दुरूपयोग के संबंध में मुख्यमंत्री को शिकायत कर जांच की मांग की है। इसकी प्रतिलिपि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री प्रहलाद जोशी, उप मुख्यमंत्री अरुण साव व विजय शर्मा, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष किरण सिंहदेव को भी भेजी गई है।
भाजपा नेता हितानंद अग्रवाल ने कहा कि कोरबा सहित चिरमिरी माइनिंग स्त्रोत का बहुत बड़ा जिला है। इस जिले से बहुत बड़े स्तर पर कोयले की माइनिंग की जाती है, जिससे जिला खनिज न्यास कोरबा को भी बहुत बड़ी मात्रा में राशि प्राप्त होती है। जिला खनिज न्यास कोरबा द्वारा पिछले 5 वर्ष में अपने मद का खुले तौर पर दुरूपयोग किया गया है। जिला खनिज न्यास कोरबा के बीते 5 वर्षों के आडिट रिपोर्ट यह दर्शाता रहा है कि राशि को एजेंसीस को एडवांस के तौर पर हस्तांतरित कर दी गई है। बीते 5 वर्षों में की गई करीब 1200 करोड़ रुपये की एडवांस राशि को किस कार्य में यूटिलाइज्ड किया गया है, इस संबंध में आज दिनांक तक जिला खनिज न्यास कोरबा द्वारा स्पष्ट नही किया गया है। वर्तमान समय में भी जिला खनिज न्यास कोरबा के कोष में करीब 470 करोड़ रुपये से अधिक जमा है। डीएमएफ नियम 2015 के अनुसार जो कि केंद्र सरकार द्वारा 2015 में बनाये गये थे, स्पष्ट प्रावधान दिये गये है कि 60 प्रतिशत राशि प्रभावित क्षेत्र के इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास में खर्च किया जाना है। यदि कोरबा एवं चिरमिरी जिले में डीएमएफ मद से माइनिंग कॉलेज खोला जाता है तो एक ओर डीएमएफ फंड का उपयोग नियम 2015 के अंतर्गत सही खर्च के अंतर्गत माना जायेगा। दूसरी ओर माइनिंग कॉलेज खोले जाने से माइनिंग से प्रभावित जिनकी भूमि माइनिंग कार्य हेतु अधिग्रहित कर ली गई है, उनके परिवार के सदस्यों को माइनिंग कॉलेज में शिक्षा ग्रहण कर कुशल रोजगार प्राप्त करने का अवसर प्राप्त होगा। अग्रवाल ने प्रस्ताव स्वीकृत कर कोरबा डीएमएफटी को निर्देश जारी करने का आग्रह किया है।इसके अलावा हितानंद ने लिखा है कि छत्तीसगढ़ राज्य में कोई भी माइनिंग कॉलेज अभी तक स्थापित नहीं किया गया है, जबकि कोल माइनिंग एक्ट 1957 के तहत सन् 1957 से कोयले की माइनिंग हेतु किसानों की भूमि का अधिग्रहण किया जाता रहा है। प्रभावित किसानों को केवल लेबर का रोजगार दिया जाता रहा है। यदि माइनिंग कॉलेज की स्थापना की जाती है तो प्रभावित किसानों को कुशल रोजगार प्राप्त हो सकेंगे।