December 23, 2024

राम नवमी का पर्व कब है? जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि

नई दिल्ली 18 अप्रैल : राम नवमी का पर्व भगवान राम के जन्म दिन के रूप में मनाते हैं. पौराणिक मान्यता के अनुसार रामचंद्र जी का जन्म चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी की तिथि पर हुआ था. इस वर्ष चैत्र शुक्ल की नवमी की तिथि 21 अप्रैल को पड़ रही है. इस दिन विशेष योग भी बन रहा है.

*पुनर्वसु नक्षत्र में हुआ था भगवान राम का जन्म*
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान राम का जन्म कर्क लग्न में हुआ था. इसके साथ जन्म के समय नक्षत्र पुनर्वसु था. ज्योतिष शास्त्र में कर्क लग्न का स्वामी चंद्रमा और पुनर्वसु नक्षत्र के स्वामी देव गुरू बृहस्पति हैं. पुनर्वसु नक्षत्र की गिनती शुभ नक्षत्रों में की जाती है.
*राम नवमी का महत्व*
राम नवमी का पर्व विशेष माना गया है. भगवान राम की शिक्षाएं और दर्शन को अपनाकर जीवन को श्रेष्ठ बनाया जा सकता है. भगवान राम को मर्यादा पुरूषोत्तम कहा गया है. भगवान राम जीवन को उच्च आर्दशों के साथ जीने की प्रेरणा देते हैं. राम नवमी के पावन पर्व पर भगवान राम की पूजा अर्चना की जाती है, व्रत रख कर भगवान राम की आराधना करने से जीवन में आने वाली परेशानियों को दूर करने में मदद मिलती है. भगवान राम की कृपा प्राप्त होती है.

*राम नवमी का शुभ मुहूर्त*
नवमी तिथि आरंभ: 21 अप्रैल, रात्रि 00:43 बजे से
नवमी तिथि समापन: 22 अप्रैल, रात्रि 00:35 बजे तक
पूजा का मुहूर्त: प्रात: 11 बजकर 02 मिनट से दोपहर 01 बजकर 38 मिनट तक
पूजा की कुल अवधि: 02 घंटे 36 मिनट
रामनवमी मध्याह्न का समय: दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर
*पूजा विधि*
नवमी की तिथि वाले दिन प्रात:काल स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें. पूजा स्थान को शुद्ध करने के बाद पूजा आरंभ करें. हाथ में अक्षत लेकर व्रत का संकल्प लें. भगवान राम का पूजन आरंभ करें. पूजन में गंगाजल, पुष्प, 5 प्रकार के फल, मिष्ठान आदि का प्रयोग करें. रोली, चंदन, धूप और गंध आदि से षोडशोपचार पूजन करें. तुलसी का पत्ता और कमल का फूल अर्पित करें. पूजन करने के बाद रामचरितमानस, रामायण और रामरक्षास्तोत्र का पाठ करना अति शुभ माना गया है. पूजा समापन से पूर्व भगवान राम की आरती करें.

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