December 23, 2024

सौर सुजला योजना से भी जलापूर्ति नहीं

कोरबा 29 दिसंबर। पानी की गुणवत्ता में कमी होने से कई प्रकार की परेशानियां लोगों को होती है। इसलिए शुद्ध और स्वच्छ जल देने के लिए योजना पर काम हो रहा है। कोरबा जिले के बालकोनगर के आसपास के अनेक गांव में नलजल योजना और सौर सुजला योजना पर काम होने के बाद भी लोगों के घरों तक पानी नहीं पहुंच सका है, इसलिए ये लोग मजबूरी में दूसरे विकल्पों से पानी लेकर जोखिम मोल ले रहे हैं।

नल जल प्रदाय योजना और सौर सुजला योजना के अंतर्गत लोगों को उनके घर में ही पानी देने के लिए जो प्लानिंग की गई थी उसके बहुत अच्छे नतीजे नहीं आ चुके हैं। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग कोरबा खंड के अंतर्गत आने वाले रोगबहरी, चुइया, सोंगुड़ा, जामबहार, भटगांव, भावर, और आसपास के कई गांव में अभी भी लोग परंपरागत स्रोतों से पीने का पानी लेने को मजबूर हैं। इन इलाकों का जायजा लेने पर इस तरह की जानकारी सामने आई। देखने को मिला कि सांसद डॉक्टर बंशीलाल महतो के कार्यकाल में ग्रामीण क्षेत्रों को जलापूर्ति के लिए जो पानी टंकी या उपलब्ध कराई गई थी वह अब काम के लायक नहीं बची हैं। इसलिए भी लोगों को तालाब और ढोढ़ी के भरोसे रहना पड़ रहा है।

ग्रामीणों ने बताया कि उनके गांव में पाइप लाइन बिछाई गई है और कुछ जगह न लगाए गए हैं लेकिन पानी नहीं आ रहा है। सोंनगुड़ा में सौर सुजला योजना के अंतर्गत जलापूर्ति करने के लिए व्यवस्था की गई लेकिन यह बेमतलब साबित हुआ। पानी नहीं चढऩे के कारण आपूर्ति संभव नहीं हो रही है। जामबहार के सरपंच शिवराज सिंह ने बताया कि कई कारणों से नल जल प्रदाय योजना पूरी नहीं हो सकी। इसलिए योजना आयोग की राशि से 9 स्थान पर बोर किए गए हैं ताकि लोगों को सुविधा दी जा सके।

लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग को जिम्मेदारी दी गई है कि वह शहरी के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोगों को स्वच्छ और शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए ना केवल योजना बनाए बल्कि इसका उचित क्रियान्वयन भी करें। इसके लिए पर्याप्त फंड आवंटित किया जा रहा है और इसकी उपयोगिता सुनिश्चित करने पर भी जोर दिया जा रहा है। राज्य और केंद्र सरकार के द्वारा दिए जाने वाले फंड का कितनी इमानदारी से उपयोग हो रहा है यह कोरबा जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की पेयजल संबंधी परेशानी को देखकर आसानी से स्पष्ट हो जाता है। बिना किसी ठोस योजना के किए जाने वाले कार्यों के नतीजे कैसे होते हैं यह बालको नगर के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में देखा जा रहा है। मजबूरी बस इन इलाकों के लोग ढोड़ी और तालाब का पानी पीकर काम चला रहे हैं।

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