कविताएं @ कात्यायनी
कात्यायनी की कविताएं
प्रस्तुति- सरिता सिंह
दो स्त्रियाँ थीं
दो स्त्रियाँ थीं
एक ने प्यार किया इसी देशकाल में
सच्ची-मुच्ची का ।
वह इसी देशकाल की
होकर रही ।
दूसरी ने सोचा देशकाल के बारे में प्यार न कर सकी
पर उसने लिखीं
दुनिया की सबसे अच्छी प्रेम कविताएँ ।
दो जंगल थे
दो जंगल थे ।
दोनों में ही आग लगी थी ।
एक ख़ुद जलकर
राख हो रहा था ।
दूसरा बस आग को
जीवित रखे हुए था
अंधेरी बस्तियों के लिए ।
जादू नहीं कविता
स्मृति स्वप्न नहीं ।
आशाएँ भ्रम नहीं ।
जगत मिथ्या नहीं ।
कविता जादू नहीं ।
सिर्फ़ कवि हम नहीं ।
तारों भरे आसमान के नीचे एक खिलन्दड़ा विचार
जिसने तोड़े आसमान के तारे,
दुःखी हुआ वह।
सुखी-मगन थे बाकी सारे।
सब हसरतें करोगे पूरी,
फिर जीवन में
बचा हुआ कुछ नहीं रहेगा,
समझे प्यारे?
आँधी में नाचे है तितली
धूल भरी आँधी में उड़ती
एक रंगीन तितली-
शायद कोई भुला दी गई धुन।
यह नाज़ुक है, सुन्दर है
और हमें उकसा रही है
बर्बरता के विरुद्ध।
यह तितली है
तो होंगे तूफ़ानी पितरेल भी
और गर्वीले गरुड़ भी यही कहीं हमारे आसपास ही।
गोरखपुर, उत्तरप्रदेश